निश्चित रूप से! यहां आपके लिए एक छोटी डरावनी कहानी है:
यह कहानी 1997 के मार्च महीने की है। बिहार के मुंगेर जिले में एक गांव है, जहां गांव के छोर पर एक पुराना मकान था जो पिछले करीबन 12-15 सालों से बंध पड़ा था। वह मकान 2 मंज़िला था और बहुत समय से वह बंध होने के कारण उस घर में पेड़-पौधे ज़्यादा हो गए थे। वह घर के सामने से एक छोटी सी सड़क वहाँ से गुजरती थी। वह खंडहर घर होने के कारण और सड़क गांव के आखरी छोर पर होने के कारण वहाँ पर कोई आता-जाता नहीं नही था।
वह घर की और ना जाने का कारण एक वह भी था कि रात को 12 बजे के बाद वह घर में से बच्चों की चीखने-चिल्लाने की आवाज़ें चालू हो जाती हैं। वह घर के नज़दीक से कोई भी दिन में भी जाता है तो रोने की आवाज़ें आती रहती हैं, कई लोगों ने वहाँ से "बचाओ बचाओ" की आवाज़ें भी सुनी हैं जिसके कारण वह घर की और कोई नहीं जाता था, बरसों से वह खंडहर घर में कोई नहीं गया था।
गांव वालों की तरफ से कई बातें चल रही थीं,वहां के एक बुज़ुर्ग के अनुसार वह घर में करीब 20 वर्ष पहले वह जगह पर एक चरवाहा अपने परिवार के साथ रहता था जिसके पास कई गायें और भेस होतीथीं। उसके परिवार में उसकी तीन लड़कियां और एक छोटा बच्चा था। वह परिवार पिछले 21 सालों से वह घर में रह रहा था। बुज़ुर्ग के अनुसार वह घर उनके बड़े भाई का था, जो कई समय से दूसरे शहर में रह रहे थे और वह चरवाहा के और उसके भाई के साथ चरवाहा के रिश्ते भी बहुत अच्छे थे।
एक दिन उसका बड़ा भाई उनके पास आया और वह घर बेचने को लेकर उनमे बहस हो गई जिसके कारण वह दो भाइयों में हाथापाई हो गई और वह बड़ा भाई घर से अपने शहर चला गया। ऐसे ही कई दिनों तक उनके बीच में लड़ाईझगड़े चलते रहे, एक दिन हमने देखा कि उनके घर में ताला लगा है और उनके पास जो जानवर थे वे भी अपनी जगह पर ही थे, जबकि वह लोग अपनी गायेंभेस छोड़ कर कभी जाते नहीं थे, दूसरे दिन दूध लेने वालों ने घर पर जाकरकर देखा तो दरवाजा लॉक था, उन्होंने खिड़की से जाक कर देखा तो वे दंग रह गए।
घर के दीवार पर खून के धब्बे लगे थे और फर्श पर वह चरवाहे की लाश पड़ी थी, गांववालों ने तुरंत पुलिस को बुलाया और घर खोलवाया तो पता चला कि चरवाहे के पूरेपरिवार को घर में ही मार दिया गया था, जैसे ही अंदर पहुंचे तो रूम में चरवाहे और उसकी एक बेटी की लाश पड़ीथी। घर का पूरा सामान बिखरा पड़ा था, घर के भूतल के कमरे की पूरी दीवार खून के रंग से लाल थी। एक जगह पर खून के कुछ निशानथे, जैसे पता चलता था कि किसी को मारकरके घसीट कर ले जाया गया है। जब वह धब्बे के पिछा करके देखा तो चरवाहे की दूसरी बेटी की लाश रसोईघर में पड़ी थी, पुलिस ने ऊपर जाकर देखा तो ऊपर के एक कमरे में चरवाहे की पत्नी और छोटे बच्चे की लाश पड़ीथी, जिससे पूरा गांव दंग रह गया और रोने लगे।
गाँव वालों के बयानों के आधार पर और घर में बड़े भाई की मौजूदगी के कुछ सबूत मिलने के बाद, पुलिस ने उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया और चूँकि चरवाहे भाई की गवाही पुरानी थी, इसलिए उसे जेल से रिहा कर दिया गया।
रात को १२ बजे उन्होंने घर के अंदर जाने का फैसला किया। मनीषा नाम की लड़की पहले से ही वह घर में जाने के लिए मना कर रही थी, लेकिन रिंकू के मजबूर करने पर वह जाने के लिए राजी हो गई। घर के मुख्य द्वार के बाहर छोटा सा आंगन था और आंगन के बाहर घर का मुख्य गेट था। वह १० बजे के करीब वह घर के अंदर गए , जैसे ही वह मुख्य गेट के अंदर घुसे बाहर तेज़ हवा चल रही थी और वह अचानक बंद हो गई। फिर धीरे-धीरे धीरे वह मुख्य द्वार पर पोहोचे तो वहां पर ताला लगा था जिसे उन्होंने तोड़ दिया। जंग लगने के कारण ताला आसानी से टूट गया। जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला, अचानक बहुत सारे चंगदार घर के बाहर मुख्य द्वार के रास्ते से निकले, जिसके कारण वह डर गए, अंदर की हवा में एक बेचैन कर देने वाली शांति थी, धीरे-धीरे धीरे हलके पांव एक-एक एक करके सभी घर के अंदर चले गए।
बाहर के तापमान के हिसाब से अंदर का तापमान बहुत ठंडा था, घर में टॉर्च जलने से पता चला कि वहां घर की खिड़कियां खुली होने के कारण घर में १ इंच जैसी घुल की परत बन गई थी, घर की खिड़कियां जो लकड़ी की बनी थीं वह टूटी हुई थीं, धर के अंदर भूतल पर २ कमरे और रसोईघर था, वह धीरे-धीरे घर की पीछे की ओर गुजरे और पीछे की ओर गाय भेस रखने के लिए एक तबेला था, उसी के साथ गाय भेस को बाहर ले जाने के लिए एक दरवाजा बनाया था जो घर के बाहर पीछे खेत की ओर निकलता था। घर में पूरा सामान ऐसे का ऐसा ही पड़ा था बिस्तर, बर्तन, टेबल, खुर्सी, और बहुत सा सामान जैसे का तैसा ही था, वह अब घर के कमरे की ओर बढ़े दोनों कमरों के दरवाजे खुले हुए थे, पहले कमरे की अंदर झांका तो कमरे की दीवारों में मकड़ी के जाले और धूल से धक गई थी। एक खुर्सी और अलमारी खाली पड़ी थी, इसके शिवा कमरे में कुछ नहीं था। लगभग रात के १:०० बज चुके थे पर अभी तक कुछ हलचल चल नहीं थी, ठंड के कारण वह ठिठर रहे थे, फिर वह दूसरे कमरे की ओर बढ़े। दूसरे कमरे में हमने पाया कि वह कमरे के अंदर मात्र एक पलंग था, जिसके नीचे चार पटरे की पेटियां पड़ी थीं। उनमें से किरण नाम का लड़का निडर था,किरण ने वह बॉक्स को खोलने के लिए हाथ बढ़ाया तो अचानक हॉल में से जोरसे दरवाजा बंद होने की आवाज़आई, हम सब हॉल की ओर भागे तो देखा हॉल का दरवाजाबंद हो चुकाहै। हमने दरवाजे को खींच कर खोलने का प्रयास किया पर वह नहीं खुला जैसे बाहर से किसी ने पकड़ कर रखा है।
मनीषा और आकाश समझ गए कि घर में कुछ नकारात्मक चीजें हैं और वह हमें संकट में डाल सकती हैं। जिसके कारण मनीषा ने बताया कि हम यहां से चले जाते हैं, लेकिन दूरसे चार लोगों की सहमति न होने के कारण मनीषा की बात किसी ने नहीं मानी। अनेक प्रयास करने के बावजूद वह दरवाजा नहीं खुला, समय काम होने के कारण उन्होंने वह कमरे में फिर से जाने का निर्णय लिया। जैसे ही कमरे में घुसे, वह जगह पर से एक बक्सा गायब था। उन्होंने आस पास नजर घुमाकर देखा, देखा पर वह नहीं मिला। किरण ने फिर से वह बक्सा खोलने का प्रयास किया और तीनों बक्सों को एक के बाद एक खोला, तो उसमें से उस चरवाहे और उसके परिवार के कपड़े थे, जो उन्होंने वैसे के वैसे ही रख दिए और कमरे के बाहर आ गए।
अब वह ऊपर जाने के बारे में सोच रहे थे जहां से ज्यादातर लोगों के रोने, चीखने, चिल्लाने की आवाजें आती रहती थीं, अब वह धीरे से ऊपर चढ़ने के लिए आगे बढ़े, जहां आगे किरण, अमर, रिंकू, आकाश और आखिर में मनीषा थी, जैसे ही मनीषा ने पहली सीधी पर कदम रखा, मनीषा को रूसरे कमरे में से औरत की आवाज सुनाई दी, जैसे वह कर रही है "ऊपर मत जाओ, ऊपर मत जाओ।" " मनीषा दर के काँपने ने लगी, वह ऊपर जाने के लिए माना करने लगी, पर बाकी के लोगों ने उसकी बात नहीं मानी, तो मनीषा ने ऊपर जाने से इंकार कर दिया और सीधी से उतर के नीचे रहने का फैसला किया, जिसके कारण आकाश भी उसके साथ नीचे रुक गया।
करीबन १:४५ को चुकी थी। अब बाकी के लोगों ने ऊपर चढ़ना शुरू किया, जैसे-जैसे आगे बढ रहे थे, हवा और ठंडी होती गई ऊपर चढ़ते समय छोटे बच्चे की रोने की आवाज़ सुनाई दी, जैसे-जैसे जैसे ऊपर बढ़ते गए छोटे बच्चे की आवाज़ तेज़ होती गई। अपर दो कमरे थे, जिनमें से एक कमरे में से रोने की आवाज़ आ रही थी। जब उन्होंने वह कमरा खोला, तो अचानक माहौल शांत हो गया। उन्होंने अंदर देखा तो कोई बच्चा नहीं था। अचानक उनकी टॉर्च बंद हो गई और कमरे में अंधेरा छा गया, और एक भारी आवाज़ से किसी के बड़बड़ाने नेकी आवाज़ आ रही थी, जो तीनों में से कोई नहीं समझ पा रहा था। जैसे कोई नहीं चाहता था कि वे लोग वहां पर हों।
अचानक कुछ चीज़ दाहिने और से दीधी आयीं और और किरण को उठा के चली गयीं। उसकी चीख सुनकर अमर और रिंकू भाग कर सामने वाले दूसरे कमरे की ओर भागे। जैसे ही दूसरे कमरे की ओर पहुंचे, तो पीछे कमरे के अंदर से किरण की आवाज़ सुनाई दी, जिसे बचने के लिए अमर फिर से वह कमरे में गया। जैसे ही उसने कमरे में पैर रखा, किरण दीवार पर पीछे से दौड़ कर आया और अमर को उठाकर चला गया, जैसे किरण की अंदर कोई चीज़ घुस गई है, वह देखकर रिंकू ऊपर ही बेहोश हो गई। यही दौरान नीचे आकाश और मनीषा के साथ भी वह घटना होनी चालू हो गई। वह डरके उन तीनों के पास ऊपर जाने के लिए भागे, तो अचानक आकाश के ऊपर किसी ने रफ़्तार से टेबल फेका, जिसके कारण उसे सर पर चोट लगी। मनीषा दौड़ कर सीधी के ऊपर चढ़ी और उनके पास टॉर्च थी, जिससे वह रिंकू दो कमरों के बीच में पड़ी थी। उसे पानी मार कर उठाया डरे होने के कारण उन्होंने आवाज़ लगाई, पर वह पर कोई नहीं था। नीचे उतर कर घर के पिछले दरवाजे से बाहर निकालकर वह खेत की ओर भाग गए।
यह घटना की आवाज़ बहार किसी ने नहीं सुनी जिसके कारण वह दो लड़की दूसरे गांव के एक घर के बाहर बैठी हुई पाईगई जो बहुतडरी हुई थी, वह पूरी घटना उन्होंने गांववालों को बताया जैसे ही वह बाकी के ३ लड़कों को ढूंढने के लिए आए तो देखा दरवाजा रात की तरह ही बंद था, गांववालों ने दरवाजे को हल्का हाथ लगाकरकर खोला तो वह खुल गया, घर में सब जैसे का तैसा ही पड़ाथा। रिंकू के मुताबिक वह कमरे में जाकर देखा पर वह पर कोई भी नहीं था, उन्होंने घर के आस-पासपास और पूरेगांव में ढूंढा पर वो तीन लड़केकहीं नहीं मिले। लड़को के घर वाले कुछ महीनो तक ढूंढ़ते रहे परन्तु उन्हें ह नहीं मिले, लड़को के घर वालो ने समाज लिया के वह अभी इस दुनिया में नहीं रहे , वह दो लड़कियों ने फिर कभी वह गांव की तरफ मुड़करकर नहीं देखा, वह घटना मनीषा, रिंकू आज तक नहीं भूला पाए।
वह घटना के बाद करीबन २ साल बाद वह चरवाहे का भाई वह घर में आया और उसी घर में अपने आपको फांसी लगाली, चरवाहे के भाई के मरने के बाद वह चिकने चिल्लाने की आवाज़ भी बंद हो गई और वह पे डरावनी घटनाएं भी बंद हो गईं।
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